अलिफ लैला की प्रेम कहानी-38
आप मुझे बताएँ कि मैं
आपका कष्ट किस प्रकार दूर कर सकता हूँ। कृपया मुझे अपनी कठिनाई बताने में तनिक भी न
हिचकें। कृपया यह बताएँ कि आप यहाँ इस मजबूरी की हालत में कैसे पड़े हैं। यह भी बताएँ
कि यह भव्य प्रासाद किसका है और ऐसा निर्जन क्यों है। साथ ही यह भी बताएँ - क्योंकि
मैं यही जानने के लिए निकला हूँ - कि पास के तालाब का रहस्य क्या है और उसकी मछलियाँ
कौन हैं।'
जवान आदमी यह सुनकर
फिर रोने लगा और बोला, 'मेरा हाल सुनने के पहले देख लीजिए। यह कह कर उसने अपना कपड़ा
उठाया तो बादशाह ने देखा कि वह नाभि के ऊपर तो जीवित मनुष्य है और नीचे काले पत्थर
का
बना हुआ है। उसकी आँखें
फटी रह गई और वह बोला, 'मुझे तो वैसे यहाँ की प्रत्येक वस्तु देख कर आश्चर्य हो रहा
था किंतु आपका यह हाल देख कर मेरा आश्चर्य और उत्सुकता बहुत बढ़ गई है। भगवान के लिए
अपना ब्योरेवार हाल कहिए। मुझे विश्वास हो रहा है कि तालाब की रंग-बिरंगी मछलियों के
रहस्य का भी आपसे संबंध है। आप मुझे अपनी व्यथा-कथा शीघ्र कहिए क्योंकि दूसरे को सुनाने
से आदमी का कुछ दुख तो दूर होता ही है।' जवान आदमी ने कहा कि मुझे अपनी दशा के वर्णन
से भी कष्ट होता है किंतु आपका आदेश है इसलिए कहता हूँ।